गुरुवार, 15 मई 2008

इन्द्रधनुष २

१--
अकेले रहा हूँ, अकेले रहूंगा , गमे दर्दे दुनिया अकेले सहूंगा !
न लगता है कोई मेरे संग होगा , जिसे मुस्कुराके मै अपना कहूँगा !!

२ --
फिर हमने गुनाह किया , उसने अदालत लगाई है !
हर बार हुआ बाइज्जत बरी , आज फिर एक सुनवाई है !!

३--
गिर के टूट जाएगा फैंका था उसने !
परिंदा मेरा मन बीच मे ही उड़ चला !!

४--
लड़खडाने के लिए कुछ जाम अभी बाकी है !
दिल होना सरेआम अभी बाकी है !!
मिट गया मेरा नाम तेरे नाम के साथ !
होना बस बदनाम अभी बाकी है !!

५--
वो पूछते है की मेरी जान किस मे है बसी !
मै हंस के कहता हूँ यही की आईने से पूछ लो !!

६--
कभी चलता हूँ तेज, कभी ठहर जाता हूँ !
कभी दिन मै रात होती है , कभी रातों दोपहर मनाता हूँ !!
चलते हुए साथ तेरे जिंदगी मै ,
गम मै मुस्कुराता , खुशी मै सिहर जाता हूँ !!

७--
हर शख्स अपने आप मे मशहूल है , ख़ुद हाथ सोना बाकि सब धूल है !!
साथ आ न सके कोई मंजिल तक , फेंकता तय रास्तों मे शूल है !!

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